कच: Difference between revisions
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'''कच''' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार देवताओं के गुरु [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के पुत्र थे। इन्होंने [[दैत्य]] गुरु [[शुक्राचार्य]] से संजीवनी विद्या प्राप्त की थी। किंतु गुरु पुत्री [[देवयानी]] के प्रेम को ठुकरा देने के कारण देवयानी ने कच को संजीवनी विद्या भूल जाने का शाप दे दिया। इसके साथ ही कच ने भी देवयानी को यह शाप दिया कि कोई भी [[ब्राह्मण]] उससे [[विवाह]] नहीं करेगा।<ref>{{cite web |url=http:// | {{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=कच|लेख का नाम=कच (बहुविकल्पी)}} | ||
'''कच''' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार देवताओं के गुरु [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के पुत्र थे। इन्होंने [[दैत्य]] गुरु [[शुक्राचार्य]] से संजीवनी विद्या प्राप्त की थी। किंतु गुरु पुत्री [[देवयानी]] के प्रेम को ठुकरा देने के कारण देवयानी ने कच को संजीवनी विद्या भूल जाने का शाप दे दिया। इसके साथ ही कच ने भी देवयानी को यह शाप दिया कि कोई भी [[ब्राह्मण]] उससे [[विवाह]] नहीं करेगा।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%9A |title=कच |accessmonthday=25 मार्च|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
*[[देवासुर संग्राम]] में जब बहुत से [[असुर]] मारे गए, तब दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी संजीवनी विद्या द्वारा पुनर्जीवित कर दिया। | *[[देवासुर संग्राम]] में जब बहुत से [[असुर]] मारे गए, तब दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी संजीवनी विद्या द्वारा पुनर्जीवित कर दिया। |
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चित्र:Disamb2.jpg कच | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कच (बहुविकल्पी) |
कच पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवताओं के गुरु बृहस्पति के पुत्र थे। इन्होंने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या प्राप्त की थी। किंतु गुरु पुत्री देवयानी के प्रेम को ठुकरा देने के कारण देवयानी ने कच को संजीवनी विद्या भूल जाने का शाप दे दिया। इसके साथ ही कच ने भी देवयानी को यह शाप दिया कि कोई भी ब्राह्मण उससे विवाह नहीं करेगा।[1]
- देवासुर संग्राम में जब बहुत से असुर मारे गए, तब दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी संजीवनी विद्या द्वारा पुनर्जीवित कर दिया।
- यह देख देवताओं के गुरु बृहस्पति ने अपने पुत्र कच को शुक्राचार्य के पास संजीवनी विद्या सीखने भेजा।
- शुक्राचार्य की कन्या देवयानी कच से प्रेम करने लगी।
- जब असुरों ने कच का वध करना चाहा, तब देवयानी ने ही उसे बचाया।
- कच की विद्या पूर्ण हो जाने पर देवयानी ने उससे विवाह का प्रस्ताव किया, पर कच ने इसे ठुकरा दिया।
- तब देवयानी ने कच को शाप दिया कि तुम्हारी सीखी हुई विद्या तुम्हारे काम न आएगी। इस पर कच ने भी देवयानी को शाप दिया कि कोई ब्राह्मण तुमसे विवाह न करेगा।
- कच तथा देवयानी की कथा विस्तारपूर्वक 'महाभारत' के 'आदिपर्व' में दी गई है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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