गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 57: Line 57:
कबूतर के चाल से चलती है।
कबूतर के चाल से चलती है।


गाँधी तूफान के पिता
गाँधी तूफान के पिता और बाजों के भी बाज थे
और बाजों के भी बाज थे
क्योंकि वे नीरवता की आवाज थे।  
क्योंकि वे नीरवता की आवाज थे।  
</poem>
</poem>

Revision as of 11:18, 20 August 2011

गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
जन्म 23 सितंबर, सन 1908
जन्म स्थान सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार)
मृत्यु 24 अप्रैल, सन 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ

देश में जिधर भी जाता हूँ,
उधर ही एक आह्वान सुनता हूँ।

"जडता को तोडने के लिए भूकम्प लाओ।
घुप्प अँधेरे में फिर अपनी मशाल जलाओ।
पूरे पहाड हथेली पर उठाकर पवनकुमार के समान तरजो।
कोई तूफान उठाने को कवि, गरजो, गरजो, गरजो !"

सोचता हूँ, मैं कब गरजा था?
जिसे लोग मेरा गर्जन समझते हैं,
वह असल में गाँधी का था,
उस गाँधी का था, जिस ने हमें जन्म दिया था।

तब भी हम ने गाँधी के
तूफान को ही देखा, गाँधी को नहीं।

वे तूफान और गर्जन के पीछे बसते थे।
सच तो यह है कि अपनी लीला में
तूफान और गर्जन को शामिल होते देख
वे हँसते थे।

तूफान मोटी नहीं, महीन आवाज से उठता है।
वह आवाज जो मोम के दीप के समान
एकान्त में जलती है, और बाज नहीं,
कबूतर के चाल से चलती है।

गाँधी तूफान के पिता और बाजों के भी बाज थे
क्योंकि वे नीरवता की आवाज थे।

संबंधित लेख