मेरे दीपक -महादेवी वर्मा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "उज्जवल " to "उज्ज्वल ")
Line 80: Line 80:
यह समीप आता छलनामय;
यह समीप आता छलनामय;
मधुर मिलन में मिट जाना तू
मधुर मिलन में मिट जाना तू
उसकी उज्जवल स्मित में घुल खिल!
उसकी उज्ज्वल स्मित में घुल खिल!
मदिर-मदिर मेरे दीपक जल!
मदिर-मदिर मेरे दीपक जल!
प्रियतम का पथ आलोकित कर!  
प्रियतम का पथ आलोकित कर!  

Revision as of 12:33, 20 September 2011

मेरे दीपक -महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'मेरा परिवार', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी', 'शृंखला की कड़ियाँ', 'अतीत के चलचित्र', नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

सौरभ फैला विपुल धूप बन
मृदुल मोम-सा घुल रे, मृदु-तन!
दे प्रकाश का सिन्धु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल-गल
पुलक-पुलक मेरे दीपक जल!

तारे शीतल कोमल नूतन
माँग रहे तुझसे ज्वाला कण;
विश्व-शलभ सिर धुन कहता मैं
हाय, न जल पाया तुझमें मिल!
सिहर-सिहर मेरे दीपक जल!

जलते नभ में देख असंख्यक
स्नेह-हीन नित कितने दीपक
जलमय सागर का उर जलता;
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस-विहँस मेरे दीपक जल!

द्रुम के अंग हरित कोमलतम
ज्वाला को करते हृदयंगम
वसुधा के जड़ अन्तर में भी
बन्दी है तापों की हलचल;
बिखर-बिखर मेरे दीपक जल!

मेरे नि:श्वासों से द्रुततर,
सुभग न तू बुझने का भय कर।
मैं अंचल की ओट किये हूँ!
अपनी मृदु पलकों से चंचल
सहज-सहज मेरे दीपक जल!

सीमा ही लघुता का बन्धन
है अनादि तू मत घड़ियाँ गिन
मैं दृग के अक्षय कोषों से-
तुझमें भरती हूँ आँसू-जल!
सहज-सहज मेरे दीपक जल!

तुम असीम तेरा प्रकाश चिर
खेलेंगे नव खेल निरन्तर,
तम के अणु-अणु में विद्युत-सा
अमिट चित्र अंकित करता चल,
सरल-सरल मेरे दीपक जल!

तू जल-जल जितना होता क्षय;
यह समीप आता छलनामय;
मधुर मिलन में मिट जाना तू
उसकी उज्ज्वल स्मित में घुल खिल!
मदिर-मदिर मेरे दीपक जल!
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

संबंधित लेख