उपेक्षा -सुभद्रा कुमारी चौहान: Difference between revisions

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रहती हूँ सदा छिपाए॥
रहती हूँ सदा छिपाए॥


मेरी साँसों की लू से
मेरी साँसों की लू से,
कुछ आँच न उनमें आए।
कुछ आँच न उनमें आए।
मेरे अंतर की ज्वाला
मेरे अंतर की ज्वाला,
उनको न कभी झुलसाए॥
उनको न कभी झुलसाए॥


कितने प्रयत्न से उनको,
कितने प्रयत्न से उनको,
मैं हृदय-नीड़ में अपने
मैं हृदय-नीड़ में अपने,
बढ़ते लख खुश होती थी,
बढ़ते लख खुश होती थी,
देखा करती थी सपने॥
देखा करती थी सपने॥


इस भांति उपेक्षा मेरी
इस भांति उपेक्षा मेरी,
करके मेरी अवहेला
करके मेरी अवहेला,
तुमने आशा की कलियाँ
तुमने आशा की कलियाँ
मसलीं खिलने की बेला॥  
मसलीं खिलने की बेला॥  

Latest revision as of 14:19, 19 December 2011

उपेक्षा -सुभद्रा कुमारी चौहान
कवि सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म 16 अगस्त, 1904
जन्म स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 फरवरी, 1948
मुख्य रचनाएँ 'मुकुल', 'झाँसी की रानी', बिखरे मोती आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ

इस तरह उपेक्षा मेरी,
क्यों करते हो मतवाले!
आशा के कितने अंकुर,
मैंने हैं उर में पाले॥

विश्वास-वारि से उनको,
मैंने है सींच बढ़ाए।
निर्मल निकुंज में मन के,
रहती हूँ सदा छिपाए॥

मेरी साँसों की लू से,
कुछ आँच न उनमें आए।
मेरे अंतर की ज्वाला,
उनको न कभी झुलसाए॥

कितने प्रयत्न से उनको,
मैं हृदय-नीड़ में अपने,
बढ़ते लख खुश होती थी,
देखा करती थी सपने॥

इस भांति उपेक्षा मेरी,
करके मेरी अवहेला,
तुमने आशा की कलियाँ
मसलीं खिलने की बेला॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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