उपालम्भ -माखन लाल चतुर्वेदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
{| style="background:transparent; float:right"
{| style="background:transparent; float:right"
|-
|-
Line 36: Line 35:
एक गो-पद था, भला था,
एक गो-पद था, भला था,
कब किसी के काम का था?
कब किसी के काम का था?
क्षुद्ध तरलाई गरीबिन
क्षुद्ध तरलाई गरीबिन,
अरे कहाँ उलीच लाये?
अरे कहाँ उलीच लाये?


Line 49: Line 48:
नगर-रव बीच लाये?
नगर-रव बीच लाये?


एक वन्ध्या गाय थी
एक वन्ध्या गाय थी,
हो मस्त बन में घूमती थी,
हो मस्त बन में घूमती थी,
उसे प्रिय! किस स्वाद से
उसे प्रिय! किस स्वाद से
Line 59: Line 58:
ऐ उदार दधीच लाये?
ऐ उदार दधीच लाये?


जहाँ कोमलतर, मधुरतम
जहाँ कोमलतर, मधुरतम,
वस्तुएँ जी से सजायीं,
वस्तुएँ जी से सजायीं,
इस अमर सौन्दर्य में, क्यों
इस अमर सौन्दर्य में, क्यों

Revision as of 14:18, 19 December 2011

उपालम्भ -माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, गरीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

क्यों मुझे तुम खींच लाये?

एक गो-पद था, भला था,
कब किसी के काम का था?
क्षुद्ध तरलाई गरीबिन,
अरे कहाँ उलीच लाये?

एक पौधा था, पहाड़ी
पत्थरों में खेलता था,
जिये कैसे, जब उखाड़ा
गो अमृत से सींच लाये!

एक पत्थर बेगढ़-सा
पड़ा था जग-ओट लेकर,
उसे और नगण्य दिखलाने,
नगर-रव बीच लाये?

एक वन्ध्या गाय थी,
हो मस्त बन में घूमती थी,
उसे प्रिय! किस स्वाद से
सिंगार वध-गृह बीच लाये?

एक बनमानुष, बनों में,
कन्दरों में, जी रहा था;
उसे बलि करने कहाँ तुम,
ऐ उदार दधीच लाये?

जहाँ कोमलतर, मधुरतम,
वस्तुएँ जी से सजायीं,
इस अमर सौन्दर्य में, क्यों
कर उठा यह कीच लाये?

चढ़ चुकी है, दूसरे ही
देवता पर, युगों पहले,
वही बलि निज-देव पर देने
दृगों को मींच लाये?

क्यों मुझे तुम खींच लाये?

संबंधित लेख