उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "बाग " to "बाग़ ")
Line 47: Line 47:


पानी बरसा,  
पानी बरसा,  
बाग ऊग आये अनमोले,  
बाग़ ऊग आये अनमोले,  
रंग-रँगी पंखुड़ियों ने,  
रंग-रँगी पंखुड़ियों ने,  
अन्तर तर खोले;
अन्तर तर खोले;

Revision as of 12:44, 16 February 2012

उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, गरीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

उठ महान! तूने अपना स्वर,
यों क्यों बेच दिया?
प्रज्ञा दिग्वसना, कि प्राण का,
पट क्यों खेंच दिया?

वे गाये, अनगाये स्वर सब,
वे आये, बन आये वर सब,
जीत-जीत कर, हार गये से,
प्रलय बुद्धिबल के वे घर सब!

तुम बोले, युग बोला अहरह,
गंगा थकी नहीं प्रिय बह-बह,
इस घुमाव पर, उस बनाव पर,
कैसे क्षण थक गये, असह-सह!

पानी बरसा,
बाग़ ऊग आये अनमोले,
रंग-रँगी पंखुड़ियों ने,
अन्तर तर खोले;

पर बरसा पानी ही था,
वह रक्त न निकला!
सिर दे पाता, क्या
कोई अनुरक्त न निकला?

प्रज्ञा दिग्वसना? कि प्राण का पट क्यों खेंच दिया!
उठ महान तूने अपना स्वर यों क्यों बेच दिया!

संबंधित लेख