आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "चिन्ह" to "चिह्न")
m (Text replace - " सन " to " सन् ")
Line 6: Line 6:
|चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर
|चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर
|कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]]
|कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]]
|जन्म=[[23 सितंबर]], सन 1908
|जन्म=[[23 सितंबर]], सन् 1908
|जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]])  
|जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]])  
|मृत्यु= [[24 अप्रैल]], सन 1974
|मृत्यु= [[24 अप्रैल]], सन् 1974
|मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]]
|मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]]
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य रचनाएँ=

Revision as of 14:01, 6 March 2012

आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
जन्म 23 सितंबर, सन् 1908
जन्म स्थान सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार)
मृत्यु 24 अप्रैल, सन् 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ

वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है;
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है।
चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से;
चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण-चिह्न जगमग से।
बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नही है;
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है।

अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का;
सारी रात चले तुम दुख झेलते कुलिश का।
एक खेय है शेष, किसी विध पार उसे कर जाओ;
वह देखो, उस पार चमकता है मन्दिर प्रियतम का।
आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है।

दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर पुण्य-प्रकाश तुम्हारा;
लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा।
जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही;
अम्बर पर घन बन छाएगा ही उच्छ्वास तुम्हारा।
और अधिक ले जाँच, देवता इतना क्रूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है।

संबंधित लेख