पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै -रहीम: Difference between revisions
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पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै लगि लागि गयो कहुँ काहु करैटो। | पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै लगि लागि गयो कहुँ काहु करैटो। | ||
हिरदै दहिबे सहिबे ही को है, कहिबे को कहा कछु है गहि फेटो॥ | हिरदै दहिबे सहिबे ही को है, कहिबे को कहा कछु है गहि फेटो॥ | ||
सूधै चितै तन हा हा करें हू ’रहीम’ इतो | सूधै चितै तन हा हा करें हू ’रहीम’ इतो दु:ख जात क्यों मेटो। | ||
ऐसे कठोर सों औ चितचोर सों कौन सी हाय घरी भई भेंटो॥ | ऐसे कठोर सों औ चितचोर सों कौन सी हाय घरी भई भेंटो॥ | ||
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Latest revision as of 14:02, 2 June 2017
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पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै लगि लागि गयो कहुँ काहु करैटो। |
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