हाँ मैं कृष्ण -रश्मि प्रभा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 76: Line 76:
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
{{भारत के कवि}}
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:रश्मि प्रभा]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]]
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:रश्मि प्रभा]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:06, 25 September 2015

हाँ मैं कृष्ण -रश्मि प्रभा
कवि रश्मि प्रभा
जन्म 13 फ़रवरी, 1958
जन्म स्थान सीतामढ़ी, बिहार
मुख्य रचनाएँ 'शब्दों का रिश्ता' (2010), 'अनुत्तरित' (2011), 'अनमोल संचयन' (2010), 'अनुगूँज' (2011) आदि।
अन्य जानकारी रश्मि प्रभा, स्वर्गीय महाकवि सुमित्रा नंदन पंत की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की सुपुत्री हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रश्मि प्रभा की रचनाएँ

हाँ मैं कृष्ण ...
मैं तो कुछ कहता ही नहीं
कह चुका जो कहना था
गुन चुका जो गुनना था
पर तुम सब अपने बंधन में आज भी हो ...
कभी धृतराष्ट्र कभी दुर्योधन
कभी शकुनी ...
कभी कर्ण कभी अर्जुन कभी युद्धिष्ठिर !
एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
न प्रश्न न संशय न हार न जीत
बस ... माखन और बांसुरी की धुन
... पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
आश्चर्य !
फंसते भी खुद ही हो
और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
तो - मेरी गुहार लगाते हो !
मेरी ख़ामोशी को तुम मेरी हार समझते हो
यह तुम्हारी बेवकूफी नहीं अतिरिक्त समझदारी है
तुम चाहते हो मैं डर जाऊँ उन बन्द रास्तों से
जिसके ज़िम्मेदार तुम हो
पर मुझे बनाना चाहते हो !
....
कलयुग में तुम कितने मुखौटे बनाओगे
यह मुझे पूर्व से ज्ञात था
तुम जानबूझकर भ्रमित हो सकते हो
पर मैं भ्रमित नहीं ..
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
सर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
न मथुरा
न हस्तिनापुर
.... तुम नाहक मुझे लेकर
कुछ का कुछ सोच रहे
बेशक छल शह मात का खेल खेलो
पर मुझे मत घसीटो
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख