चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Dinkar.jpg |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 31: | Line 31: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
उठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला | |||
सिलवा दो मा मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला | सिलवा दो मा मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला | ||
सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ | सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ |
Revision as of 10:12, 20 August 2011
| ||||||||||||||||||
|
उठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला |
संबंधित लेख