ध्वज-वंदना -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Dinkar.jpg |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 34: Line 34:


नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !
नमो नगाधिराज - श्रृंग की विहारिणी !
नमो नागाधिराज - श्रृंग की विहारिणी !
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
Line 42: Line 42:
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु
सत्य न्याय के हेतु फहर फहर ओ केतु
फहर फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
Line 49: Line 48:
तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर
सेवक सैन्य कठोर हम चालीस करोड़
हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान
करते तव जय गान वीर हुए बलिदान,
वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

Revision as of 12:29, 20 August 2011

ध्वज-वंदना -रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
जन्म 23 सितंबर, सन 1908
जन्म स्थान सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार)
मृत्यु 24 अप्रैल, सन 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ

नमो, नमो, नमो।

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !
नमो नागाधिराज - श्रृंग की विहारिणी !
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!

हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु फहर फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!

तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

संबंधित लेख