दिल्ली (कविता) -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
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यह कैसी चांदनी अम के मलिन | यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, | ||
कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में? | कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में? | ||
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इस उजाड़ निर्जन खंडहर में, | इस उजाड़ निर्जन खंडहर में, | ||
छिन्न-भिन्न उजड़े इस घर | छिन्न-भिन्न उजड़े इस घर में | ||
तुझे रूप सजाने की सूझी, | तुझे रूप सजाने की सूझी, | ||
इस सत्यानाश प्रहर में! | इस सत्यानाश प्रहर में! | ||
डाल-डाल पर छेड़ रही कोयल मर्सिया-तराना, | डाल-डाल पर छेड़ रही कोयल मर्सिया - तराना, | ||
और तुझे सूझा इस दम ही उत्सव हाय, मनाना; | और तुझे सूझा इस दम ही उत्सव हाय, मनाना; | ||
हम धोते हैं घाव इधर सतलज के शीतल जल से, | हम धोते हैं घाव इधर सतलज के शीतल जल से, | ||
उधर तुझे भाता है | उधर तुझे भाता है इन पर नमक हाय, छिड़कना! | ||
महल कहां बस, हमें सहारा, | महल कहां बस, हमें सहारा, | ||
केवल | केवल फूस-फास, तॄणदल का; | ||
अन्न नहीं, अवलम्ब प्राण का, | अन्न नहीं, अवलम्ब प्राण का, |
Revision as of 12:52, 20 August 2011
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यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, |
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