जनतन्त्र का जन्म -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
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"सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है?" | "सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है?" | ||
'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है?" | 'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है?" | ||
मानो, जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं, | मानो, जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं, | ||
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में; | जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में; | ||
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जनता की रोके राह, समय में ताव कहां? | जनता की रोके राह, समय में ताव कहां? | ||
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है। | वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है। | ||
अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अंधकार | अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अंधकार | ||
बीता; गवाक्ष अंबर के दहके जाते हैं; | बीता; गवाक्ष अंबर के दहके जाते हैं; |
Revision as of 12:58, 20 August 2011
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सदियों की ठंडी - बुझी राख सुगबुगा उठी, |
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