पढ़क्कू की सूझ -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
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एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे, | एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे, | ||
जहाँ न कोई बात, वहाँ भी | जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे। | ||
एक रोज़ वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ न पाए, | एक रोज़ वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ न पाए, | ||
"बैल | "बैल घूमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए?" | ||
कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बड़ा गज़ब है? | कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बड़ा गज़ब है? | ||
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कहाँ पढ़क्कू ने सुनकर, "तुम रहे सदा के कोरे! | कहाँ पढ़क्कू ने सुनकर, "तुम रहे सदा के कोरे! | ||
बेवकूफ! मंतिख की बातें समझ सकोगे | बेवकूफ! मंतिख की बातें समझ सकोगे थोड़ी! | ||
अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए, | अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए, | ||
चले नहीं, बस, खड़ा-खड़ा गर्दन को खूब हिलाए। | चले नहीं, बस, खड़ा-खड़ा गर्दन को खूब हिलाए। | ||
घंटी | घंटी टन-टन खूब बजेगी, तुम न पास आओगे, | ||
मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे? | मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे? | ||
Revision as of 13:00, 20 August 2011
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एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे, |
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