समर शेष है -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
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ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , | ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , | ||
किसने कहा, युद्ध की | किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, शांति से बोलो? | ||
किसने कहा, और मत | किसने कहा, और मत बेधो ह्रदय वह्रि के शर से, | ||
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? | भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? | ||
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तड़प रहा आँखों के आगे भूखा हिन्दुस्तान । | तड़प रहा आँखों के आगे भूखा हिन्दुस्तान । | ||
फूलों | फूलों की रंगीन लहर पर ओ उतरने वाले ! | ||
ओ रेशमी नगर के वासी! ओ छवि के मतवाले! | ओ रेशमी नगर के वासी! ओ छवि के मतवाले! | ||
सकल देश में हालाहल है, दिल्ली में हाला है, | सकल देश में हालाहल है, दिल्ली में हाला है, | ||
दिल्ली में | दिल्ली में रोशनी, शेष भारत में अंधियाला है । | ||
मखमल के पर्दों के बाहर, फूलों के उस पार, | मखमल के पर्दों के बाहर, फूलों के उस पार, |
Revision as of 11:03, 23 August 2011
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ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , |
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