तुम -सुभद्रा कुमारी चौहान: Difference between revisions

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मेरी मदिरा की प्याली।
मेरी मदिरा की प्याली।
एक बूँद भी शेष
एक बूँद भी शेष
न रहने देना करना खाली॥
न रहने देना करना ख़ाली॥


नशा उतर जाए फिर भी
नशा उतर जाए फिर भी

Latest revision as of 10:45, 8 December 2011

तुम -सुभद्रा कुमारी चौहान
कवि सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म 16 अगस्त, 1904
जन्म स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 फरवरी, 1948
मुख्य रचनाएँ 'मुकुल', 'झाँसी की रानी', बिखरे मोती आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ

जब तक मैं मैं हूँ, तुम तुम हो,
है जीवन में जीवन।
कोई नहीं छीन सकता
तुमको मुझसे मेरे धन॥

आओ मेरे हृदय-कुंज में
निर्भय करो विहार।
सदा बंद रखूँगी
मैं अपने अंतर का द्वार॥

नहीं लांछना की लपटें
प्रिय तुम तक जाने पाएँगीं।
पीड़ित करने तुम्हें
वेदनाएं न वहाँ आएँगीं॥

अपने उच्छ्वासों से मिश्रित
कर आँसू की बूँद।
शीतल कर दूँगी तुम प्रियतम
सोना आँखें मूँद॥

जगने पर पीना छक-छककर
मेरी मदिरा की प्याली।
एक बूँद भी शेष
न रहने देना करना ख़ाली॥

नशा उतर जाए फिर भी
बाकी रह जाए खुमारी।
रह जाए लाली आँखों में
स्मृतियाँ प्यारी-प्यारी॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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