समर्पण -सुभद्रा कुमारी चौहान: Difference between revisions
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परिमल नहीं, पराग नहीं। | परिमल नहीं, पराग नहीं। | ||
किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन | किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन | ||
का है इन पर | का है इन पर दाग़ नहीं॥ | ||
तेरी अतुल कृपा का बदला | तेरी अतुल कृपा का बदला | ||
नहीं चुकाने आई हूँ। | नहीं चुकाने आई हूँ। |
Revision as of 11:08, 20 December 2011
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सूखी सी अधखिली कली है |