समर्पण -सुभद्रा कुमारी चौहान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - " दाग " to " दाग़ ")
Line 34: Line 34:
परिमल नहीं, पराग नहीं।
परिमल नहीं, पराग नहीं।
किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन
किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन
का है इन पर दाग नहीं॥
का है इन पर दाग़ नहीं॥
तेरी अतुल कृपा का बदला
तेरी अतुल कृपा का बदला
नहीं चुकाने आई हूँ।
नहीं चुकाने आई हूँ।

Revision as of 11:08, 20 December 2011

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
समर्पण -सुभद्रा कुमारी चौहान
कवि सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म 16 अगस्त, 1904
जन्म स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 फरवरी, 1948
मुख्य रचनाएँ 'मुकुल', 'झाँसी की रानी', बिखरे मोती आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ

सूखी सी अधखिली कली है
परिमल नहीं, पराग नहीं।
किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन
का है इन पर दाग़ नहीं॥
तेरी अतुल कृपा का बदला
नहीं चुकाने आई हूँ।
केवल पूजा में ये कलियाँ
भक्ति-भाव से लाई हूँ॥

प्रणय-जल्पना चिन्त्य-कल्पना
मधुर वासनाएं प्यारी।
मृदु-अभिलाषा, विजयी आशा
सजा रहीं थीं फुलवारी॥

किंतु गर्व का झोंका आया
यदपि गर्व वह था तेरा।
उजड़ गई फुलवारी सारी
बिगड़ गया सब कुछ मेरा॥

बची हुई स्मृति की ये कलियाँ
मैं समेट कर लाई हूँ।
तुझे सुझाने, तुझे रिझाने
तुझे मनाने आई हूँ॥

प्रेम-भाव से हो अथवा हो
दया-भाव से ही स्वीकार।
ठुकराना मत, इसे जानकर
मेरा छोटा सा उपहार॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख