जाग तुझको दूर जाना -महादेवी वर्मा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "तूफान" to "तूफ़ान") |
कात्या सिंह (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 30: | Line 30: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem>चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! | <poem> | ||
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! | |||
जाग तुझको दूर जाना! | जाग तुझको दूर जाना! | ||
Line 48: | Line 49: | ||
वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया, | वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया, | ||
दे किसे जीवन-सुधा दो | दे किसे जीवन-सुधा दो घूँट मदिरा माँग लाया! | ||
सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या? | सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या? | ||
विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? | विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? | ||
Line 59: | Line 60: | ||
राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी! | राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी! | ||
है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना! | है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना! | ||
जाग तुझको दूर जाना! </poem> | जाग तुझको दूर जाना! | ||
</poem> | |||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} | ||
Revision as of 13:53, 25 December 2011
| ||||||||||||||||||||
|
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! |
संबंधित लेख