जागना अपराध -माखन लाल चतुर्वेदी: Difference between revisions

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जागना अपराध!
जागना अपराध!
इस विजन-वन गोद में सखि,
इस विजन - वन गोद में सखि,
मुक्ति-बन्धन-मोद में सखि,
मुक्ति - बन्धन - मोद में सखि,
विष-प्रहार-प्रमोद में सखि,
विष - प्रहार - प्रमोद में सखि,


मृदुल भावों
मृदुल भावों
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बंक वाली, भौंह काली,
बंक वाली, भौंह काली,
मौत, यह अमरत्व ढाली,
मौत, यह अमरत्व ढाली,
कस्र्ण धन-सी,
कस्र्ण धन - सी,
तरल घन -सी
तरल घन - सी
सिसकियों के सघन वन-सी,
सिसकियों के सघन वन-सी,
श्याम-सी,
श्याम - सी,
ताजे, कटे-से,
ताजे, कटे - से,
खेत-सी असहाय,
खेत - सी असहाय,
कौन पूछे?
कौन पूछे?
पुस्र्ष या पशु
पुस्र्ष या पशु
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अचंचला पुतली
अचंचला पुतली
युगों के बीच,
युगों के बीच,
दबी-सी,
दबी - सी,
उन तरल बूँदों से
उन तरल बूँदों से
कलेजा सींच,
कलेजा सींच,
खूब अपने से
खूब अपने से
लपेट-लपेट
लपेट - लपेट
परम अभाव,
परम अभाव,
चाव से बोली,
चाव से बोली,

Revision as of 14:00, 25 December 2011

जागना अपराध -माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, गरीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

जागना अपराध!
इस विजन - वन गोद में सखि,
मुक्ति - बन्धन - मोद में सखि,
विष - प्रहार - प्रमोद में सखि,

मृदुल भावों
स्नेह दावों
अश्रु के अगणित अभावों का शिकारी-
आ गया विध व्याध;
जागना अपराध!
बंक वाली, भौंह काली,
मौत, यह अमरत्व ढाली,
कस्र्ण धन - सी,
तरल घन - सी
सिसकियों के सघन वन-सी,
श्याम - सी,
ताजे, कटे - से,
खेत - सी असहाय,
कौन पूछे?
पुस्र्ष या पशु
आय चाहे जाय,
खोलती सी शाप,
कसकर बाँधती वरदान-
पाप में-
कुछ आप खोती
आप में-
कुछ मान।
ध्यान में, घुन में,
हिये में, घाव में,
शर में,
आँख मूँदें,
ले रही विष को-
अमृत के भाव!
अचल पलक,
अचंचला पुतली
युगों के बीच,
दबी - सी,
उन तरल बूँदों से
कलेजा सींच,
खूब अपने से
लपेट - लपेट
परम अभाव,
चाव से बोली,
प्रलय की साध-
जागना अपराध!

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