रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम -मीरां: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - "नही " to "नहीं ")
 
Line 32: Line 32:
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
<poem>
<poem>
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम। तेरे कोडी लगे नही दाम॥
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम। तेरे कोडी लगे नहीं दाम॥
नरदेहीं स्मरणकूं दिनी। बिन सुमरे वे काम॥1॥
नरदेहीं स्मरणकूं दिनी। बिन सुमरे वे काम॥1॥
बालपणें हंस खेल गुमायो। तरुण भये बस काम॥2॥
बालपणें हंस खेल गुमायो। तरुण भये बस काम॥2॥

Latest revision as of 13:24, 21 January 2012

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम। तेरे कोडी लगे नहीं दाम॥
नरदेहीं स्मरणकूं दिनी। बिन सुमरे वे काम॥1॥
बालपणें हंस खेल गुमायो। तरुण भये बस काम॥2॥
पाव दिया तोये तिरथ करने। हाथ दिया कर दान॥3॥
नैन दिया तोये दरशन करने। श्रवन दिया सुन ज्ञान॥4॥
दांत दिया तेरे मुखकी शोभा। जीभ दिई भज राम॥5॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। है जीवनको काम॥6॥

संबंधित लेख