अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास: Difference between revisions
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जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥ | जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥ | ||
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥ | यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥ | ||
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक | बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक ग़ुलाम॥4॥ | ||
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Revision as of 09:21, 3 June 2012
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अब तेरी सरन आयो राम॥1॥ |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |