मेरी टेक -सुभद्रा कुमारी चौहान: Difference between revisions
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निर्धन हों धनवान, परिश्रम उनका धन हो। | निर्धन हों धनवान, परिश्रम उनका धन हो। | ||
निर्बल हों बलवान, सत्यमय उनका मन हो॥ | निर्बल हों बलवान, सत्यमय उनका मन हो॥ | ||
हों स्वाधीन | हों स्वाधीन ग़ुलाम, हृदय में अपनापन हो। | ||
इसी आन पर कर्मवीर तेरा जीवन हो॥ | इसी आन पर कर्मवीर तेरा जीवन हो॥ | ||
Latest revision as of 09:25, 3 June 2012
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निर्धन हों धनवान, परिश्रम उनका धन हो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |