वातायन -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions

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मैं झरोखा हूँ।
मैं झरोखा हूँ।
कि जिसकी टेक लेकर
कि जिसकी टेक लेकर
विश्व की हर चीज बाहर झाँकती है।
विश्व की हर चीज़ बाहर झाँकती है।


पर, नहीं मुझ पर,
पर, नहीं मुझ पर,

Latest revision as of 13:39, 1 October 2012

वातायन -रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
जन्म 23 सितंबर, सन् 1908
जन्म स्थान सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार)
मृत्यु 24 अप्रैल, सन् 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ

मैं झरोखा हूँ।
कि जिसकी टेक लेकर
विश्व की हर चीज़ बाहर झाँकती है।

पर, नहीं मुझ पर,
झुका है विश्व तो उस ज़िन्दगी पर
जो मुझे छूकर सरकती जा रही है।
 
जो घटित होता है, यहाँ से दूर है।
जो घटित होता, यहाँ से पास है।

कौन है अज्ञात?
किसको जानता हूँ?

और की क्या बात?
कवि तो अपना भी नहीं है।








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