दरद-दिवाने बावरे -मलूकदास: Difference between revisions

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दरद-दिवाने बावरे, अलमस्त फकीरा।
दरद-दिवाने बावरे, अलमस्त फ़कीरा।
एक अकीदा लै रहे, ऐसे मन धीरा॥1॥
एक अकीदा लै रहे, ऐसे मन धीरा॥1॥
प्रेमी पियाला पीवते, बिदरे सब साथी।
प्रेमी पियाला पीवते, बिदरे सब साथी।

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दरद-दिवाने बावरे -मलूकदास
कवि मलूकदास
जन्म 1574 सन् (1631 संवत)
मृत्यु 1682 सन् (1739 संवत)
मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मलूकदास की रचनाएँ

दरद-दिवाने बावरे, अलमस्त फ़कीरा।
एक अकीदा लै रहे, ऐसे मन धीरा॥1॥
प्रेमी पियाला पीवते, बिदरे सब साथी।
आठ पहर यो झूमते, ज्यों मात हाथी॥2॥
उनकी नजर न आवते, कोइ राजा रंक।
बंधन तोड़े मोहके, फिरते निहसंक॥3॥
साहेब मिल साहेब भये, कछु रही न तमाई।
कहैं मलूक किस घर गये, जहँ पवन न जाई॥4॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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