बारी होके जाने बंदना -मीरां: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - "१" to "1")
Line 35: Line 35:
बारी होके जाने बंदना। पठीयो कछु नारी है॥ध्रु०॥
बारी होके जाने बंदना। पठीयो कछु नारी है॥ध्रु०॥
बुटीसे बुडी भई साची तो भारी हो बिचारी रही।
बुटीसे बुडी भई साची तो भारी हो बिचारी रही।
तुम घर जावो बदना मेरो प्यारा भारी हो॥१॥
तुम घर जावो बदना मेरो प्यारा भारी हो॥1॥
नारी होके द्वारकामें बाजे बासुरी। बासु मुस वारी हो।
नारी होके द्वारकामें बाजे बासुरी। बासु मुस वारी हो।
वोही खूब लाला वणीर जोए। मारी सारी हो॥२॥
वोही खूब लाला वणीर जोए। मारी सारी हो॥२॥

Revision as of 09:48, 1 November 2014

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
बारी होके जाने बंदना -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ


बारी होके जाने बंदना। पठीयो कछु नारी है॥ध्रु०॥
बुटीसे बुडी भई साची तो भारी हो बिचारी रही।
तुम घर जावो बदना मेरो प्यारा भारी हो॥1॥
नारी होके द्वारकामें बाजे बासुरी। बासु मुस वारी हो।
वोही खूब लाला वणीर जोए। मारी सारी हो॥२॥
पान जैसी पिरी भई पर गोपवर रही।
मेरा गिरिधर पिया प्रभुजी मीरा वारी डारी हो॥३॥

संबंधित लेख