साधुकी संगत पाईवो -मीरां: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "७" to "7")
m (Text replace - "८" to "8")
 
Line 40: Line 40:
रंका बंका सूरदास भाईं। बिदुरकी भाजी खाईरे॥6॥
रंका बंका सूरदास भाईं। बिदुरकी भाजी खाईरे॥6॥
ध्रुव प्रल्हाद और बिभीषण। उनकी क्या भलाईवो॥7॥
ध्रुव प्रल्हाद और बिभीषण। उनकी क्या भलाईवो॥7॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। ज्योतीमें ज्योती लगाईवो॥८॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। ज्योतीमें ज्योती लगाईवो॥8॥


</poem>
</poem>

Latest revision as of 11:36, 1 November 2014

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
साधुकी संगत पाईवो -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

साधुकी संगत पाईवो। ज्याकी पुरन कमाई वो॥ध्रु०॥
पिया नामदेव और कबीरा। चौथी मिराबाई वो॥1॥
केवल कुवा नामक दासा। सेना जातका नाई वो॥2॥
धनाभगत रोहिदास चह्यारा। सजना जात कसाईवो॥3॥
त्रिलोचन घर रहत ब्रीतिया। कर्मा खिचडी खाईवो॥4॥
भिल्लणीके बोर सुदामाके चावल। रुची रुची भोग लगाईरे॥5॥
रंका बंका सूरदास भाईं। बिदुरकी भाजी खाईरे॥6॥
ध्रुव प्रल्हाद और बिभीषण। उनकी क्या भलाईवो॥7॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। ज्योतीमें ज्योती लगाईवो॥8॥

संबंधित लेख