गंडभेरुंड: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 3: Line 3:
*गंडभेरुंड का प्राचीनतम अंकन [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] के आरंभकालिक कतिपय सिक्कों पर पाया जाता है।
*गंडभेरुंड का प्राचीनतम अंकन [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] के आरंभकालिक कतिपय सिक्कों पर पाया जाता है।
*दक्षिण के [[शैव संप्रदाय|शैव]] मंदिरों में उत्सव मूर्तियों के रूप में गंडभेरुंड देखने में आता है। [[मैसूर]] रियासत के राजचिन्ह के रूप में इस प्रतीक का प्रयोग हुआ है।
*दक्षिण के [[शैव संप्रदाय|शैव]] मंदिरों में उत्सव मूर्तियों के रूप में गंडभेरुंड देखने में आता है। [[मैसूर]] रियासत के राजचिन्ह के रूप में इस प्रतीक का प्रयोग हुआ है।
*इस पक्षी के संबंध में जनश्रुति है कि [[हिरण्यकशिपु]] के मारने के पश्चात्‌ भी जब [[नृसिंह अवतार|नृसिंह]] का क्रोध शांत नहीं हुआ, तब गंडभेरुंड उन्हें अपने पंजे में दबोच कर आकाश में ले उड़ा था।  
*इस पक्षी के संबंध में जनश्रुति है कि [[हिरण्यकशिपु]] के मारने के पश्चात्‌ भी जब [[नृसिंह अवतार|नृसिंह]] का क्रोध शांत नहीं हुआ, तब गंडभेरुंड उन्हें अपने पंजे में दबोच कर आकाश में ले उड़ा था।
 


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}
{{पौराणिक चरित्र}}
 
[[Category:पौराणिक चरित्र]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:पक्षी]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:पौराणिक कोश]][[Category:हिन्दू देवी-देवता]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:पक्षी]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 06:26, 7 August 2015

गंडभेरुंड एक काल्पनिक पक्षी जिसका अंकन भारतीय कला में पाया जाता है। इसका एक धड़ गरुड़ के सदृश होता है। यह अपनी दोनों चोंच तथा पंजे में हाथी दबोचे अंकित किया जाता है।

  • गंडभेरुंड का प्राचीनतम अंकन विजयनगर के आरंभकालिक कतिपय सिक्कों पर पाया जाता है।
  • दक्षिण के शैव मंदिरों में उत्सव मूर्तियों के रूप में गंडभेरुंड देखने में आता है। मैसूर रियासत के राजचिन्ह के रूप में इस प्रतीक का प्रयोग हुआ है।
  • इस पक्षी के संबंध में जनश्रुति है कि हिरण्यकशिपु के मारने के पश्चात्‌ भी जब नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ, तब गंडभेरुंड उन्हें अपने पंजे में दबोच कर आकाश में ले उड़ा था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख