कुशिक: Difference between revisions

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*एक बार [[च्यवन|च्यवन ऋषि]] को [[ध्यान]]-बल से पता चला कि कुशिक वंश के ही कारण उनके अपने वंश में क्षत्रियत्व की प्राप्ति होगी अर्थात्‌ वर्ण संकरता का प्रवेश होगा।
*एक बार [[च्यवन|च्यवन ऋषि]] को [[ध्यान]]-बल से पता चला कि कुशिक वंश के ही कारण उनके अपने वंश में क्षत्रियत्व की प्राप्ति होगी अर्थात्‌ वर्ण संकरता का प्रवेश होगा।

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कुशिक ऋग्वेद के अनुसार विश्वामित्र के पिता थे। किंतु 'महाभारत' तथा 'हरिवंशपुराण' के अनुसार विश्वामित्र का पिता गाधि को बताया गया है।[1]

  • एक बार च्यवन ऋषि को ध्यान-बल से पता चला कि कुशिक वंश के ही कारण उनके अपने वंश में क्षत्रियत्व की प्राप्ति होगी अर्थात्‌ वर्ण संकरता का प्रवेश होगा।
  • इस अवांछनीय स्थिति से बचने के लिए च्यवन ने कुशिक वंश को भस्म कर देने का निश्चय किया और महोदयपुर गए।
  • च्यवन महोदयपुर में राजा कुशिक और उनकी रानी को तरह तरह से कष्ट देने लगे, किंतु उन लोगों ने उनका ऐसा आतिथ्य किया कि उन्हें रुष्ट होने का अवसर ही नहीं मिला। प्रसन्न होकर च्यवन ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारा पौत्र ब्राह्मणत्व की प्राप्ति करेगा, इसी के फलस्वरूप विश्वामित्र 'ब्रह्मर्षि' हुए।
  • उधर च्यवन के वंशज ऋचीक ने कुशिक पुत्र गाधि की पुत्री से विवाह किया, जिससे जमदग्नि पैदा हुए। उनके पुत्र परशुराम, ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय धर्म में प्रवृत्त हुए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुशिक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 मार्च, 2014।

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