रैदास: Difference between revisions
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Revision as of 13:17, 15 December 2010
- मध्ययुगीन संतों में प्रसिद्ध रैदास के जन्म के संबंध में प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ विद्वान काशी में जन्मे रैदास का समय 1482-1527 ई. के बीच मानते हैं।
- ये कबीरदास के समकालीन और गुरु भाई थे। कबीर, नाभादास, मीराबाई आदि ने बड़े सम्मान के साथ इनका स्मरण किया है। चित्तौड़ की रानी झाँसी और मीराबाई को इनकी शिष्याएं बताया जाता है।
- रैदास का जन्म चमड़े का काम करने वाले परिवार में हुआ था। कहते हैं, ये अनपढ़ थे, किंतु संत-साहित्य के ग्रंथों और गुरु-ग्रंथ साहब में इनके पद पाए जाते हैं।
- गृहस्थाश्रम में रहते हुए भी रैदास उच्च-कोटि के विरक्त संत थे। जूते सीते-सीते ही उन्होंने ज्ञान-भक्ति का ऊंचा पद प्राप्त किया था। उन्होंने समता और सदाचार पर बहुत बल दिया। वे खंडन-मंडन में विश्वास नहीं करते थे। सत्य को शुद्ध रूप में प्रस्तुत करना ही उनका ध्येय था।
- रैदास का प्रभाव आज भी देश में दूर-दूर तक फैला हुआ है। इस मत के अनुयायी रैदासी या रविदासी कहलाते हैं।
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