अपर्णा
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:16, 27 November 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
अपर्णा माता पार्वती का ही एक अन्य नाम है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पार्वती ने भगवान शिव के लिए वर्षों तप किया था।[1] अपनी अति दुष्कर तपस्या के कारण ही इन्हें 'तपश्चारिणी' अर्थात 'ब्रह्मचारिणी' नाम से भी अम्बोधित किया गया।
- तपस्या के दौरान माता पार्वती ने एक हज़ार वर्ष तक केवल फल खाकर ही व्यतीत किए और सौ वर्ष तक केवल शाक पर निर्भर रहीं।
- उपवास के समय खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के विकट कष्ट सहे।
- बाद में केवल ज़मीन पर टूट कर गिरे बेलपत्रों को खाकर ही तीन हज़ार वर्ष तक भगवान शंकर की आराधना करती रहीं।
- कई हज़ार वर्षों तक पार्वती निर्जल और निराहार रह कर व्रत करती रहीं। पत्तों को भी छोड़ देने के कारण उनका एक नाम अपर्णा पड़ा।
"पुनि परिहरेउ सुखानेउ परना। उमा नाम तब भयउ अपरना।"[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 23 |
- ↑ रामायण, बालकाण्ड, दो. 73|7 तथा ब्रह्मांडपुराण 3.10.8.13; वायुपुराण 72.7, 11.12
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=अपर्णा&oldid=304354"