तारकासुर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:50, 23 June 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

तारकासुर एक प्रसिद्ध असुर था, जो तार का पुत्र तथा तारा का भाई था। इसने ब्रह्मा से वर पाने के लिए घोर तप किया और उन्हें प्रसन्न करके दो वर प्राप्त किये थे। तारकासुर ब्रह्मा से वरदान पाने के बाद और भी अत्याचारी और बलवान हो गया था। क्योंकि ब्रह्माजी के वरदान के अनुसार तारकासुर का वध केवल शिव से उत्पन्न होने वाला ही कोई कर सकता था, इसीलिए कार्तिकेय का जन्म हुआ, जिन्होंने तारकासुर का वध किया।

तारकासुर ने ब्रह्माजी की घोर तपस्या की थी। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उससे वर माँगने के लिए कहा। तब तारकासुर ने दो वरदान माँगे-

  1. मेरे समान कोई बलवान न हो।
  2. यदि मैं मारा जाऊँ तो उसी के हाथ से जो शिव से उत्पन्न हो।

ब्रह्मा से ये दोनों वर प्राप्त करके तारकासुर घोर अन्याय करने लगा। अब सारे देवता ब्रह्मा के पास आये। ब्रह्माजी ने कहा कि भगवान शिव के पुत्र के अतिरिक्त तारकासुर को और कोई नहीं मार सकता। पार्वती शिव के लिए तप कर रही थीं और देवताओं की प्रेरणा से कामदेव द्वारा शंकर का विवाह पार्वती से हो गया। किंतु विवाह होने के बहुत दिनों तक भी कोई संतान नहीं होने पर देवताओं को बड़ी चिंता होने लगी। तब उन्होंने अग्नि को शंकर के पास भेजा। कपोत के वेश में अग्नि को देखकर शिव बोले- "तुम्हीं हमारे वीर्य को धारण करो"। यह कह कर उन्होंने अग्नि पर वीर्य छिड़क दिया। उसी वीर्य से कार्तिकेय का जन्म हुआ और यह देवताओं के सेनानायक बने।[1] एक घोर युद्ध के पश्चात् कार्तिकेय के हाथों से तारकासुर मारा गया।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संपादन: राणा प्रसाद शर्मा |पृष्ठ संख्या: 197 |
  2. शिवपुराण

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः