कुमार मणिभट्ट

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:36, 14 May 2011 by मेघा (talk | contribs) ('*कुमार मणिभट्ट का कुछ जीवन वृत्त ज्ञात नहीं। *इन्हों...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  • कुमार मणिभट्ट का कुछ जीवन वृत्त ज्ञात नहीं।
  • इन्होंने संवत 1803 के लगभग 'रसिकरसाल' नामक एक बहुत अच्छा रीतिग्रंथ लिखा था।
  • ग्रंथ में इन्होंने स्वयं को 'हरिबल्लभ' का पुत्र कहा है।
  • शिवसिंह ने इन्हें गोकुलवासी कहा है।


गावैं बधू मधुरै सुर गीतन प्रीतम संग न बाहिर आई।
छाई कुमार नई छिति में छबि मानो बिछाई नई दरियाई
ऊँचे अटा चढ़ि देखि चहूँ दिसि बोली यों बाल गरो भरिआई।
कैसी करौं हहरैं हियरा, हरि आए नहीं उलही हरियाई


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः