किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तेल? किसकि वर्त्ति, कौन करता इसका ज्वाला से मेल? शून्य काल के पुलिनों पर- जाकर चुपके से मौन, इसे बहा जाता लहरों में वह रहस्यमय कौन? कुहरे सा धुँधला भविष्य है, है अतीत तम घोर ; कौन बता देगा जाता यह किस असीम की ओर? पावस की निशि में जुगनू का- ज्यों आलोक-प्रसार। इस आभा में लगता तम का और गहन विस्तार। इन उत्ताल तरंगों पर सह- झंझा के आघात, जलना ही रहस्य है बुझना - है नैसर्गिक बात !