तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी -मीरां

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:40, 7 September 2011 by ऋचा (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग दरबारी-ताल तिताला


तुम सुणौ दयाल म्हारी[1] अरजी॥
भवसागर में बही जात हौं, काढ़ो[2] तो थारी मरजी।
इण[3] संसार सगो नहिं कोई, सांचा सगा रघुबरजी॥
मात पिता औ कुटुम कबीलो सब मतलब के गरजी[4]
मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगाओ थारी[5] मरजी॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मेरी
  2. निकाढ़ लो, निकाल ले
  3. यह
  4. स्वार्थी
  5. तुम्हारी

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः