Revision as of 06:52, 2 March 2012 by फ़ौज़िया ख़ान(talk | contribs)('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=rahimdas.jpg |च...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कमल-दल नैननि की उनमानि।
बिसरत नाहिं सखी मो मन ते मंद मंद मुसकानि॥
यह दसननि दुति चपला हू ते महा चपल चमकानि।
बसुधा की बस करी मधुरता सुधा-पगी बतरानि॥
चढ़ी रहे चित उर बिसाल को मुकुतमाल थहरानि।
नृत्य समय पीताम्बर हू की फहरि फहरि फहरानि॥
अनुदिन श्री बृन्दावन ब्रज ते आवन आवन आनि।
अब ’रहीम’ चित ते न टरति है सकल स्याम की बानि॥