मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ -मीरां

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:46, 3 June 2012 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "आवाज " to "आवाज़ ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग भैरवी


मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ॥

पिव कारण बौरी भई, ज्यूं काठहि घुन खाइ॥
ओखद मूल न संचरै[1], मोहि लाग्यो बौराइ॥

कमठ[2] दादुर बसत जल में जलहि ते उपजाइ।
मीन जल के बीछुरे तन तलफि करि मरि जाइ॥

पिव ढूंढण बन बन गई, कहुं मुरली धुनि पाइ[3]
मीरा के प्रभु लाल गिरधर मिलि गये सुखदाइ॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अमर करे
  2. कछुवा
  3. आवाज़ सुनकर

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः