विशाखदत्त

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विशाखदत्त गुप्तकाल की विभूति थे। इनके दो नाटक प्रसिद्ध हैं-

  1. मुद्राराक्षस तथा
  2. देवीचन्द्रगुप्तम्।
  • मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन से सम्बन्धित घटनाओं का उल्लेख मिलता है।
  • देवीचन्द्रगुप्तम् से गुप्तवंशी शासक रामगुप्त के विषय में सूचनाएँ प्राप्त होती है।
  • यह नाटक अपने मूल रूप में नहीं मिलता। इसके कुछ अंश 'नाट्य दर्पण' में प्राप्त होते हैं।
  • विशाखदत्त ऐतिहासिक प्रवृत्ति के लेखक हैं। इनके नाटक वीर रस प्रधान हैं।
  • मुद्राराक्षस में प्रेमकथा, नायिका, विदूषक आदि का अभाव है तथा इस दृष्टि से यह संस्कृत साहित्य में अपना अलग स्थान रखता है।
  • इस ग्रंथ के चरित्र-चिरण में विशेष निपुणता का प्रदर्शन मिलता है।
  • इसकी भाषा प्रभावपूर्ण है।


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