मैंने जो गीत तेरे प्यार -साहिर लुधियानवी

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मैंने जो गीत तेरे प्यार -साहिर लुधियानवी
कवि साहिर लुधियानवी
जन्म 8 मार्च, 1921
जन्म स्थान लुधियाना, पंजाब
मृत्यु 25 अक्तूबर, 1980
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ आना है तो आ, अल्लाह तेरो नाम, चलो एक बार फिर से, मन रे तु काहे न धीर धरे, मैं पल दो पल का शायर हूं, यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
साहिर लुधियानवी की रचनाएँ

मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे
आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ

आज दुकान पे नीलाम उठेगा उन का
तूने जिन गीतों पे रक्खी थी मुहब्बत की असास
आज चाँदी की तराज़ू में तुलेगी हर चीज़
मेरे अफ़कार मेरी शायरी मेरा एहसास[1]

जो तेरी ज़ात से मनसूब थे उन गीतों को
मुफ़्लिसी जिन्स बनाने पे उतर आई है
भूक तेरे रुख़-ए-रन्गीं के फ़सानों के इवज़
चंद आशिया-ए-ज़रूरत की तमन्नाई है[2]

देख इस अर्सागह-ए-मेहनत-ओ-सर्माया में
मेरे नग़्में भी मेरे पास नहीं रह सकते
तेरे ज़लवे किसी ज़रदार की मीरास सही
तेरे ख़ाके भी मेरे पास नहीं रह सकते[3]

आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ
मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. असास=नींव; अफ़कार=लेख
  2. मनसूब= जुडे हुए; मुफ़्लिसी= ग़रीबी; जिन्स= वस्तु; इवज़= बदले में
  3. अर्सागह-ए-मेहनत-ओ-सर्माया= पैसे और मजदूरी की लडाई में; ज़रदार=अमीर; मीरास=जायदाद; ख़ाके= रूप

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