उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान। चौरी चारु निकुंजन में ब्याह फाग सुखदान॥ फूलन के सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस। भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥ भीण्यो केसर रंग सूँ लगे अरुन पट पीत। डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥ रच्यौ रँगीली रैन में, होरी के बिच ब्याह। बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥