गाहि सरोवर सौरभ लै -बिहारी लाल: Difference between revisions

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गाहि सरोवर सौरभ लै, ततकाल खिले जलजातन मैं कै।
गाहि सरोवर सौरभ लै,  
नीठि चलै जल वास अचै, लपटाइ लता तरु मारग मैं कै।
ततकाल खिले जलजातन मैं कै।
पोंछत सीतन तैं श्रम स्वेदंन, खेद हटैं सब राति रमै कै।
नीठि चलै जल वास अचै,  
आवत जाति झरोखनि कैं मग, सीतल बात प्रभात समै कै।।  
लपटाइ लता तरु मारग मैं कै।
पोंछत सीतन तैं श्रम स्वेदंन,  
खेद हटैं सब राति रमै कै।
आवत जाति झरोखनि कैं मग,  
सीतल बात प्रभात समै कै।।  


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Latest revision as of 07:44, 8 September 2011

गाहि सरोवर सौरभ लै -बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

गाहि सरोवर सौरभ लै,
ततकाल खिले जलजातन मैं कै।
नीठि चलै जल वास अचै,
लपटाइ लता तरु मारग मैं कै।
पोंछत सीतन तैं श्रम स्वेदंन,
खेद हटैं सब राति रमै कै।
आवत जाति झरोखनि कैं मग,
सीतल बात प्रभात समै कै।।


















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