रूपसाहि: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "Category:रीति काल" to "Category:रीति कालCategory:रीतिकालीन कवि") |
||
Line 14: | Line 14: | ||
==सम्बंधित लेख== | ==सम्बंधित लेख== | ||
{{भारत के कवि}} | {{भारत के कवि}} | ||
[[Category:रीति काल]] | [[Category:रीति काल]][[Category:रीतिकालीन कवि]] | ||
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]] | [[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 09:47, 14 October 2011
- रीति काल के कवि रूपसाहि पन्ना के रहने वाले श्रीवास्तव कायस्थ थे।
- इन्होंने संवत 1813 में 'रूपविलास' नामक ग्रंथ लिखा जिसमें दोहे में ही कुछ पिंगल, कुछ अलंकार, नायिका भेद आदि हैं -
जगमगाति सारी जरी झलमल भूषन जोति।
भरी दुपहरी तिया की भेंट पिया सों होति
लालन बेगि चलौ न क्यों बिना तिहारे बाल।
मार मरोरनि सो मरति करिए परसि निहाल
|
|
|
|
|