उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल: Difference between revisions

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भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥
भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥


भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत।
भीण्यो केसर रंग सूँ लगे अरुन पट पीत।
डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥
डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥



Latest revision as of 14:03, 19 December 2011

उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान।
चौरी चारु निकुंजन में ब्याह फाग सुखदान॥

फूलन के सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस।
भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥

भीण्यो केसर रंग सूँ लगे अरुन पट पीत।
डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥

रच्यौ रँगीली रैन में, होरी के बिच ब्याह।
बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥













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