सांच का अंग -कबीर: Difference between revisions
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यहु सब झूठी बंदिगी, बरियाँ पंच निवाज । | यहु सब झूठी बंदिगी, बरियाँ पंच निवाज । | ||
सांचै मारे झूठ पढ़ि, | सांचै मारे झूठ पढ़ि, क़ाज़ीकरै अकाज ॥3॥ | ||
सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप । | सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप । | ||
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तन-मन तापर वारहूँ, जो कोइ बोलै सांच ॥5॥ | तन-मन तापर वारहूँ, जो कोइ बोलै सांच ॥5॥ | ||
क़ाज़ीमुल्लां भ्रंमियां, चल्या दुनीं कै साथ । | |||
दिल थैं दीन बिसारिया, करद लई जब हाथ ॥6॥ | दिल थैं दीन बिसारिया, करद लई जब हाथ ॥6॥ | ||
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लेखा देणां सोहरा, जे दिल सांचा होइ । |
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