पावस रितु बृन्दावनकी -बिहारी लाल: Difference between revisions
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मन मोलै है, बागों में मोर सुहावणो बोलै है॥2॥ | मन मोलै है, बागों में मोर सुहावणो बोलै है॥2॥ | ||
आभा माहीं बिजली चमकै जलधर गहरो गाजै है। | आभा माहीं बिजली चमकै जलधर गहरो गाजै है। | ||
रितु राजै है, स्याम की सुंदर मुरली बाजै | रितु राजै है, स्याम की सुंदर मुरली बाजै है॥3॥ | ||
(रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारी जी री चूनर सारी है। | (रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारी जी री चूनर सारी है। | ||
सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी | सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी है॥4॥ | ||
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Latest revision as of 10:45, 1 November 2014
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पावस रितु बृन्दावन की दुति दिन-दिन दूनी दरसै है। |
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