तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला: Difference between revisions

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और कमज़ोरों का बस क्या है ।
और कमज़ोरों का बस क्या है ।
कहा - निर्दय, कहाँ है तेरी दया,
कहा - निर्दय, कहाँ है तेरी दया,
मुझे दुख देने में जस क्या है ।
मुझे दु:ख देने में जस क्या है ।


रात को सोते य' सपना देखा
रात को सोते य' सपना देखा

Latest revision as of 14:03, 2 June 2017

तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
जन्म 21 फ़रवरी, 1896
जन्म स्थान मेदनीपुर ज़िला, बंगाल (पश्चिम बंगाल)
मृत्यु 15 अक्टूबर, सन् 1961
मृत्यु स्थान प्रयाग, भारत
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की रचनाएँ

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया
ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते ।
उठा तो पर न सँभलने पाया
गिरा व रह गया आँसू पीते ।

ताब बेताब हु‌ई हठ भी हटी
नाम अभिमान का भी छोड़ दिया ।
देखा तो थी माया की डोर कटी
सुना व' कहते हैं, हाँ खूब किया ।

पर अहो पास छोड़ आते ही
वह सब भूत फिर सवार हु‌ए ।
मुझे गफलत में ज़रा पाते ही
फिर वही पहले के से वार हु‌ए ।

एक भी हाथ सँभाला न गया
और कमज़ोरों का बस क्या है ।
कहा - निर्दय, कहाँ है तेरी दया,
मुझे दु:ख देने में जस क्या है ।

रात को सोते य' सपना देखा
कि व' कहते हैं "तुम हमारे हो
भला अब तो मुझे अपना देखा,
कौन कहता है कि तुम हारे हो ।

अब अगर को‌ई भी सताये तुम्हें
तो मेरी याद वहीं कर लेना
नज़र क्यों काल ही न आये तुम्हें
प्रेम के भाव तुर्त भर लेना" ।



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