कुमार मणिभट्ट: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 9: Line 9:
कैसी करौं हहरैं हियरा, हरि आए नहीं उलही हरियाई</poem></blockquote>
कैसी करौं हहरैं हियरा, हरि आए नहीं उलही हरियाई</poem></blockquote>


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==सम्बंधित लेख==
==सम्बंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
{{भारत के कवि}}
[[Category:रीति काल]]
[[Category:रीति काल]][[Category:रीतिकालीन कवि]]
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]]
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 06:09, 9 August 2012

  • रीति काल के कवि कुमार मणिभट्ट का कुछ जीवन वृत्त ज्ञात नहीं।
  • इन्होंने संवत 1803 के लगभग 'रसिकरसाल' नामक एक बहुत अच्छा रीतिग्रंथ लिखा था।
  • ग्रंथ में इन्होंने स्वयं को 'हरिबल्लभ' का पुत्र कहा है।
  • शिवसिंह ने इन्हें गोकुलवासी कहा है।

गावैं बधू मधुरै सुर गीतन प्रीतम संग न बाहिर आई।
छाई कुमार नई छिति में छबि मानो बिछाई नई दरियाई
ऊँचे अटा चढ़ि देखि चहूँ दिसि बोली यों बाल गरो भरिआई।
कैसी करौं हहरैं हियरा, हरि आए नहीं उलही हरियाई


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख