चंदन (कवि): Difference between revisions
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Latest revision as of 07:59, 7 November 2017
चित्र:Disamb2.jpg चंदन | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- चंदन (बहुविकल्पी) |
- चंदन पुवायाँ, ज़िला शाहजहाँपुर के रहने वाले थे।
- चंदन गौड़ 'राजा केशरीसिंह' के पास रहा करते थे।
- चंदन ने 'श्रृंगार सागर', 'काव्याभरण', 'कल्लोल तरंगिणी' ये तीन रीति ग्रंथ लिखे।
- चंदन के इन ग्रंथों के अतिरिक्त निम्नलिखित ग्रंथ और हैं -
- केसरी प्रकाश,
- चंदन सतसई,
- पथिकबोध,
- नखशिख,
- नाम माला (कोश),
- पत्रिकाबोध,
- तत्वसंग्रह,
- सीतबसंत (कहानी),
- कृष्ण काव्य,
- प्राज्ञविलास।
- चंदन एक अच्छे कवि माने जाते हैं। इन्होंने 'काव्याभरण' संवत 1845 में लिखा। इनकी फुटकर रचना भी अच्छी हैं।
- सीतबसंत की कहानी भी इन्होंने 'प्रबंध काव्य' के रूप में लिखी है। सीतबसंत की रोचक कहानी बहुत प्रचलित है। उसमें विमाता के अत्याचार से पीड़ित 'सीतबसंत' नामक दो राजकुमारों की बड़ी लंबी कथा है।
- चंदन की पुस्तकों की सूची देखने से पता चलता है कि इनकी दृष्टि रीति ग्रंथों तक ही न रहकर साहित्य के और अंगों पर भी थी।
- चंदन फ़ारसी के भी अच्छे शायर थे और अपना तख़ल्लुस 'संदल' रखते थे। इनका 'दीवान-ए- संदल' कहीं कहीं मिलता है।
- चंदन का कविता काल संवत 1820 से 1850 तक माना जा सकता है।
ब्रजवारी गँवारी दै जानै कहा, यह चातुरता न लुगायन में।
पुनि बारिनी जानि अनारिनी है, रुचि एती न चंदन नायन में
छबि रंग सुरंग के बिंदु बने, लगै इंद्रबधू लघुतायन में।
चित जो चहैं दी चकि सी रहैं दी, केहि दी मेहँदी इन पाँयन में
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