कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला: Difference between revisions
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|जन्म=[[21 फ़रवरी]], 1896 | |जन्म=[[21 फ़रवरी]], 1896 | ||
|जन्म स्थान=मेदनीपुर ज़िला, बंगाल ([[पश्चिम बंगाल]]) | |जन्म स्थान=मेदनीपुर ज़िला, बंगाल ([[पश्चिम बंगाल]]) | ||
|मृत्यु=[[15 अक्टूबर]], | |मृत्यु=[[15 अक्टूबर]], सन् [[1961]] | ||
|मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[भारत]] | |मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[भारत]] | ||
|मुख्य रचनाएँ= | |मुख्य रचनाएँ= | ||
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गेहूँ के पेड़ ऐंठे खड़े हैं, | गेहूँ के पेड़ ऐंठे खड़े हैं, | ||
खेतीहरों में जान नहीं, | खेतीहरों में जान नहीं, | ||
मन मारे दरवाज़े कौड़े ताप रहे हैं | मन मारे दरवाज़े कौड़े ताप रहे हैं, | ||
एक दूसरे से गिरे गले बातें करते हुए, | एक दूसरे से गिरे गले बातें करते हुए, | ||
कुहरा छाया हुआ। | कुहरा छाया हुआ। | ||
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एक हफ़्ते के अंदर देना है। | एक हफ़्ते के अंदर देना है। | ||
चलो, बात दे आओ। | चलो, बात दे आओ। | ||
कौड़े से कुछ हट कर | कौड़े से कुछ हट कर, | ||
लोगों के साथ कुत्ता खेतिहर का बैठा था, | लोगों के साथ कुत्ता खेतिहर का बैठा था, | ||
चलते सिपाही को देख कर खडा हुआ, | चलते सिपाही को देख कर खडा हुआ, |
Latest revision as of 14:04, 6 March 2012
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आज ठंडक अधिक है। |
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