बौरसरी मधुपान छक्यौ -बिहारी लाल: Difference between revisions

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बौरसरी मधुपान छक्यौ, मकरन्द भरे अरविन्द जु न्हायौ
बौरसरी मधुपान छक्यौ,  
मकरन्द भरे अरविन्द जु न्हायौ।


माधुरी कुंज सौं खाइ धका, परि केतकि पाँडर कै उठि धायौ
माधुरी कुंज सौं खाइ धका,  
परि केतकि पाँडर कै उठि धायौ॥


सौनजुही मँडराय रह्यौ, बिनु संग लिए मधुपावलि गायौ
सौनजुही मँडराय रह्यौ,  
बिनु संग लिए मधुपावलि गायौ।


चंपहि चूरि गुलाबहिं गाहि, समीर चमेलिहि चूँवति आयौ।।
चंपहि चूरि गुलाबहिं गाहि,  
समीर चमेलिहि चूँवति आयौ॥


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Latest revision as of 07:06, 8 September 2011

बौरसरी मधुपान छक्यौ -बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

बौरसरी मधुपान छक्यौ,
मकरन्द भरे अरविन्द जु न्हायौ।

माधुरी कुंज सौं खाइ धका,
परि केतकि पाँडर कै उठि धायौ॥

सौनजुही मँडराय रह्यौ,
बिनु संग लिए मधुपावलि गायौ।

चंपहि चूरि गुलाबहिं गाहि,
समीर चमेलिहि चूँवति आयौ॥














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