बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर: Difference between revisions

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बहुरि नहिं आवना या देस ॥
बहुरि नहिं आवना या देस ॥
जो जो गए बहुरि नहि आए, पठवत नाहिं सॅंस ॥ 1 ॥
जो जो गए बहुरि नहि आए,  
सुर नर मुनि अरु पीर औलिया, देवी देव गनेस ॥ 2 ॥
पठवत नाहिं सेस ॥1॥
धरि धरि जनम सबै भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस ॥ 3 ॥
 
जोगी जङ्गम औ संन्यासी, दीगंबर दरवेस ॥ 4 ॥
सुर नर मुनि अरु पीर औलिया,  
चुंडित, मुंडित पंडित लोई, सरग रसातल सेस ॥ 5 ॥
देवी देव गनेस ॥2॥
ज्ञानी, गुनी, चतुर अरु कविता, राजा रंक नरेस ॥ 6 ॥
 
कोइ राम कोइ रहिम बखानै, कोइ कहै आदेस ॥ 7 ॥
धरि धरि जनम सबै,
नाना भेष बनाय सबै मिलि ढूऊंढि फिरें चहुँ देस ॥ 8 ॥
भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस ॥3॥
कहै कबीर अंत ना पैहो, बिन सतगुरु उपदेश ॥ 9 ॥
 
जोगी जङ्गम औ संन्यासी,  
दीगंबर दरवेस ॥4॥
 
चुंडित, मुंडित पंडित लोई,  
सरग रसातल सेस ॥5॥
 
ज्ञानी, गुनी, चतुर अरु कविता,  
राजा रंक नरेस ॥6॥
 
कोइ राम कोइ रहिम बखानै,  
कोइ कहै आदेस ॥7॥
 
नाना भेष बनाय सबै,
मिलि ढूऊंढि फिरें चहुँ देस ॥8॥
 
कहै कबीर अंत ना पैहो,  
बिन सतगुरु उपदेश ॥9॥
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Revision as of 09:12, 8 September 2011

बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

बहुरि नहिं आवना या देस ॥
जो जो गए बहुरि नहि आए,
पठवत नाहिं सेस ॥1॥

सुर नर मुनि अरु पीर औलिया,
देवी देव गनेस ॥2॥

धरि धरि जनम सबै,
भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस ॥3॥

जोगी जङ्गम औ संन्यासी,
दीगंबर दरवेस ॥4॥

चुंडित, मुंडित पंडित लोई,
सरग रसातल सेस ॥5॥

ज्ञानी, गुनी, चतुर अरु कविता,
राजा रंक नरेस ॥6॥

कोइ राम कोइ रहिम बखानै,
कोइ कहै आदेस ॥7॥

नाना भेष बनाय सबै,
मिलि ढूऊंढि फिरें चहुँ देस ॥8॥

कहै कबीर अंत ना पैहो,
बिन सतगुरु उपदेश ॥9॥












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